Wednesday, April 4, 2007

शुभ कामनाएँ

मुस्कुराए आपके हृदय की हर एक धड़कन,
गुनगुनाए आपकी धमनियों का हर स्पंदन,
हो प्रफुल्लित आपका हर रंध्र और हर रोम भी -
महक जाए आपका परिवार और घर-द्वार आँगन।

एक नया संगीत है - सुर ताल लय में राग में,
है नई अठखेलियाँ - फूलों की अब तो बाग में,
करने को किल्लोल आतुर बहका-बहका भ्रमर-सा मन।
मुस्कुराए आपके हृदय की हर एक धड़कन,
गुनगुनाए आपकी धमनियों का हर स्पंदन,


खिलखिलाए क्यारियाँ जीवनपुष्प यों खिलता रहे,
मन लुभाए नंदकानन रज तृण कण महका रहे,
जैसे चिरकुसुमित है चंपा, और चिरसुरभित है चंदन।
मुस्कुराए आपके हृदय की हर एक धड़कन,
गुनगुनाए आपकी धमनियों का हर स्पंदन,


हर कोई हो चिरयुवा मन से कोई अब वृद्ध ना हो,
पाखी सारे गगन चूमें कोई पिंजरबद्ध ना हो,
हर कोई उन्मुक्त हो अब ना रहे अब कोई बंधन।
मुस्कुराए आपके हृदय की हर एक धड़कन,
गुनगुनाए आपकी धमनियों का हर स्पंदन,

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